लॉकडाउन के कारण भोपाल समेत प्रदेशभर में वायु प्रदूषण पूरी तरह खत्म हो गया है। भोपाल में एंबिएंट एयर क्वालिटी (एक्यूआई) इंडेक्स 39 और औद्योगिक क्षेत्र मंडीदीप में यह 24 पर आ गया है। गौरतलब है कि 50 एक्यूआई से कम की हवा को सर्वाधिक स्वास्थ्यवर्धक माना जाता है। 100 एक्यूआई तक की हवा को श्वसन के लिहाज से संतोषजनक और इससे अधिक एक्यूआई की हवा को प्रदूषित माना जाता है।
भोपाल में प्रदूषण का सबसे बड़ा कारण धूल के बारीक कण यानी पीएम-10 और पीएम-2.5 होते हैं, लेकिन पिछले 6 दिन से हवा में इनकी मात्रा में लगातार गिरावट आ रही थी, हवा में मौजूद धूल के कण शुक्रवार को हुई बारिश के साथ जमीन पर आकर मिट्टी में तब्दील हो चुके हैं। लॉकडाउन के कारण ट्रैफिक मोबेलिटी नगण्य है और निर्माण गतिविधियां पूरी तरह बंद हैं, इसलिए डस्ट पैदा ही नहीं हो रही है। भोपाल में हवा में पीएम-10 का औसत स्तर 39 एमजीसीएम और पीएम-2.5 का औसत स्तर 29 एमजीसीएम पर आ गया है। जबकि सामान्य दिनों में यह औसतन 200 से 400 के बीच रहता है।
प्रदूषण का दूसरा सबसे बड़ा कारण वाहनों, जनरेटर और कारखानों से निकलने वाला धुआं होता है, लेकिन लॉकडाउन में ये सभी बंद पड़े हैं, या जो चालू हैं उनकी संख्या लगभग नगण्य है। यही कारण हैं कि भोपाल में कार्बन मोनो ऑक्साइड का औसत स्तर 24, सल्फर डाई आक्साइड का 11 और नाइट्रोजन के ऑक्साइड का औसत स्तर 13 एमजीसीएम पर आ गया है। जबकि सामान्य दिनों में यह औसतन 70 से 120 के बीच रहता है।

बसंत के मौसम ने प्राकृतिक रूप से शुद्ध कर दी है हवा
पी. जगन, साइंटिस्ट-ई क्षेत्रीय निदेशक के मुताबिक, जब से सीपीसीबी ने भोपाल में एंबिएंट एयर क्वालिटी का मेजरमेंट शुरू किया है, लंबे वक्त तक इतनी स्वच्छ और बेहतर हवा कभी नहीं रही है। बारिश में कुछेक घंटों के लिए हवा इतनी अच्छी होती थी, लेकिन बारिश के बाद फिर से पॉल्यूशन बढ़ जाता था। कोरोना के चलते किए गए लॉकडाउन से प्रदूषण बढ़ना रुक गया है, वहीं प्राकृतिक रूप से मौसम भी ऐसा है, जिससे हवा की गुणवत्ता अपने आप बेहतर हो रही है।